एफ-16 पर भिड़ंत

जम्मू-कश्मीर के नौशेरा इलाके में भारत-पाक की हवाई झड़प को करीब डेढ़ माह से ज्यादा वक्त हो गया है, फिर भी भारतीय वायुसेना अभी तक साबित करने में लगी है कि उसने पाक के लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराया था।
वायुसेना ने उन प्रमाणों की छवियां भी दिखाई जो दोतरफा मुठभेड़ से पूर्व भारतीय वायुसेना ने पाक को चेतावनी के तौर पर भेजी थी। वायुसेना ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उसने 27 फरवरी को सीमा का उल्लंघन कर रहे पाक के एफ-16 को मार गिराया था, लेकिन भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता यह कहना भूल गए कि सुरक्षा कारणों से यह सूचना आम जनता को न देकर अपने तक ही सीमित रख रहे हैं। दरअसल, यही पारदर्शिता का अभाव था, जिसने पाक को भारत के दावे को गलत सिद्ध करने का अवसर प्रदान किया। गत सप्ताह ही वायुसेना को एफ-16 की बाबत एक ताजा वक्तव्य इसलिए जारी करना पड़ा क्योंकि एक अमेरिकी पत्रिका ने दावा किया था कि अमेरिकी गणना के मुताबिक पाक को उनके देश द्वारा सप्लाई किया गया एफ-16 लापता नहीं था बल्कि सारे के सारे लड़ाकू विमान हाजिर पाए गए। फिर पेंटागन की तरफ से एफ-16 के ऑडिट को लेकर बयानबाजी भी की गयी।दरअसल, इस बाबत पाक का कहना है कि बालाकोट प्रकरण का अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर कोई खास असर नहीं पड़ा है, उलटा इस मुद्दे को लेकर भारत की विश्वसनीयता को आंच आई। हवाई हमले के बाद पाक ने दावा किया था कि एफ-16 का प्रयोग नहीं हुआ तो भारतीय वायुसेना ने उनके द्वारा प्रयुक्त की गयी मिसाइल के टुकड़े प्रदर्शित कर दिए। अभी पहली अप्रैल को पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने माना था कि हवाई मुठभेड़ के दौरान भारतीय लड़ाकू जेट को मारने के लिए ही एफ-16 का प्रयोग किया गया होगा। इस विवाद से बालाकोट ऑपरेशन से हासिल हमने गवां दिया। मीडिया को भी वही जानकारी मुहैया करायी गयी, जिसमें सरकार का हित हो। पाक के झूठ का भंडाफोड़ करने के लिए देरी से उठाया गया कदम सशस्त्र बलों के हित में नहीं है।

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